इस पोस्ट में Shashtriya Gayan Vadan Sangeetkala || संगीतकला शास्त्रीय गायन वादन उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती 2024 से सम्बन्धित पूरी जानकारी विस्तार से दिया गया है जो इस बार के यूपी पी परीक्षा 2024 में पूछा जा सकता है। आप विद्यार्थी लोग इसे जरुर ध्यानपूर्वक पढ़ें और कमेन्ट में बतायें
उत्तर प्रदेश संगीत कला Shashtriya Gayan Vadan Sangeetkala
- लखनऊ के मिया गुलाम नबी शौरी ने प्रवर्तन किया
टप्पा शैली का - वाजिद अलीशाह ठुमरी की बंदिशें तैयार की
‘अख्तर पिया’ उपनाम से - वाजिद अलीशाह के दरबार में रहते थे
बिन्दादिन (कथक) व कोदऊ सिंह (पखावजी ) - कथक नृत्य में ठुमरी गायन का समावेश किया
अवध के बिन्दादिन ने - शाहजहाँपुर व इटावा (गौरीपुर) घराना प्रसिद्ध है
सरोदवादन के लिए - अजराड़ा (मेरठ) घराना प्रसिद्ध है
तबला वादन के लिए - तबले के लखनऊ घराने का सूत्रपात किया
मोटू व बख्शूर खाँ ने - तबले के वाराणसी घराने का सूत्रपात किया
पं. रामसहाय ने - मोदू खां, बख्शूर खाँ, मुन्ने खाँ खलीफा, वाजिद हुसैन खाँ, असफाक, हीरेन्द्र गाँगुली आदि तबला वादक हैं
लखनऊ घराने के - राम सहाय, जानकी सहाय, दुर्गा दास सहाय, कंठे महराज, किशन महराज, शारदा सहाय, भैरव प्रसाद, पं. अनोखे लाल, महावीर भट्ट, परतप्पू महराज, वाचा मिश्र, समता प्रसाद मिश्र उर्फ गुदई महराज, रामजी मिश्र आदि तबला वादक हैं
वनारस घराने के
राम सहाय, जानकी सहाय
- अलाउद्दीन खाँ व उनके शिष्य पं. रविशंकर, राजभाव सिंह, मुश्ताक अली खाँ, वीरेन्द्र कुमार मिश्र आदि सितार वादक हैं
वनारस घराने के - रजा खाँ, गुलाम मुहम्मद, रहीमसेन, इलियास खाँ, आदि सितार वादक हैं
लखनऊ घराने के - इटावा घराना भी प्रसिद्ध है
सितार वादन हेतु - शम्भू महाराज, पागलदास, महन्त अमरनाथ, मन्त्रू मिश्र, मदन मोहन, वनारस घराने के भोलानाथ आदि पखावज वादक हैं
बनारस घराने के - कोदऊ सिंह, पं. सखाराम, पं. अयोध्या प्रसाद आदि पखावज वादक है
लखनऊ घराने के
Shashtriya Gayan Vadan Sangeetkala
- सादिक अली खाँ सारंगी वादक हैं
लखनऊ घराने के - पं. राम बख्श, गणेशजी, हनुमान मिश्र, गोपाल मिश्र, तमाकू जी, वंशी महराज, शम्भू नाथ मिश्र, विरई जी आदि सारंगी वादक हैं
वनारस घराने के - विस्मिल्ला खाँ व मुमताज खान सहनाई वादक हैं
वनारस घराने के - श्रीमती एन राजम (वनारस घराना), ओंकार नाथ ठाकुर व जी.ए. गोस्वामी (लखनऊ) आदि हैं
वायलिन वादक - दुल्लेखां व सखावत हुसैन खाँ (लखनऊ) हैं
सरोद वादक - रघुनाथ सेठ व हरिप्रसाद चौरसिया हैं
- पं. राम सेवक मिश्र, पं. छत्रू लाल मिश्र, शिवा-पशुपति मित्र, राजन-साजन मिश्र, अमरनाथ-पशुपति नाथ मिश्र, धर्मराज मित्र आदि ध्रुवपद व शास्त्रीय खयाल गायक हैं:
बासुरी वादक (प्रयागराज के) - छोटी मैना, बड़ी मैना, रसूलनबाई, सरस्वती देवी, विद्याघरी देवी, मोती केसर आदि ठुमरी-टप्पा गायिकाएँ हैं
वनारस घराने की - सिद्धेश्वरी देवी, गिरिजा देवी, बागेश्वरी देवी, कृष्णा देवी आदि ठुमरी गायिकायें हैं
वनारस घराने के - ठुमरी की पृथ्वी अंग शैली है
बनारस घराने की - इमाम बाई, चित्राबाई, अकबर अली खाँ, शादे खाँ आदि टप्पा वनारस घराने के गायक-गायिकायें हैं
बनारस घराने की
संगीतकला शास्त्रीय गायन वादन Shashtriya Gayan Vadan Sangeetkala
- प्रसिद्ध नृत्यकार उदयशंकर व गोपीकृष्ण हैं
बनारस घराने के - लखनऊ ख्याल गायकी के पितामह
खुर्शेद अली खाँ - सूरजखाँ, चाँद खाँ, छज्जू खाँ, दूल्ले खाँ, नवाब कासिम लखनऊ घराने के अली, गुलाम हुसैन आदि ख्याल गायक हैं
लखनऊ घराने की
उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती 2024
- चन्द्राबाई, जसोबाई, जयसुख बाई, धन्नोबाई, रहीमन बाई आदि ख्याल गायिकायें हैं
लखनऊ घराने की - बेगम अख्तर थी
गजल व शास्त्रीय गायिका - प्रसिद्ध जरीना बेगम व सुनीता झिंगरन है
गजल व शास्त्रीय गायिका - बालकृष्ण बुबा, कपिलेश्वरी, रामभाऊ कुण्डागोलकर उर्फ गंधर्व, गंगूबाई हंगल, भीमसेन जोशी, सरस्वती राणे, हीराबाई बड़ोदकर, प्रभा अन्ने आदि गायक हैं
किराना घराने के - दक्षिण भारत में हिन्दुस्तानी शैली को लोकप्रिय बनाया
अब्दुल करीम खाँ (किराना घराना) - रामपुर घराने के बजीर अली खाँ ने वीणा वादन में ख्याल पद्धति का प्रयोग कर जन्म दिया
सैनिया घराने का - आगरा संगीत घराने का प्रवर्तन किया
श्यामरंग व सरसरंग ने - दीपाली नाग, मदुरै रामास्वामी, जगन्नाथ बुबा, गुणीदास, टेम्बे, स्वामी बल्लभदास, पं. विश्वम्भरदीन, फैय्याज खाँ के.जी. गिंदे, गोविन्द राब आदि गायक है
आगरा घराने के - केसरबाई केरकर, किशोरी अमोनकर, मल्लिकार्जुन मंसूर, रत्नाकर पई, पद्मावती आदि गायक-गायिकायें हैं
अंतरौली घराने के - केसरबाई, जानकीबाई उर्फ छप्पन छूरी आदि गायिकायें थीं
प्रयागराज की
संगीतकला ( प्रमुख लोकगीत) Shashtriya Gayan Vadan Sangeetkala
- कजरी, बौलर, कराही, गारी, पूर्वी, कहरवां, सोहनी, रोपनी, दादरा, नटका, बिरहा, झूमर, झूला, लोरिकी, चैता, फगुआ, जोगीरा, बिदेसिया, सोहर, बधाई गीत व कव्वाली आदि
पूर्वांचल क्षेत्र - विरहा सामान्यतः पूरे प्रदेश में और विशेषतः
पूर्वांचल क्षेत्र में - कजरी का विशेष क्षेत्र है
मिर्जापुर-वाराणसी - बधाई, सावनी, फाग, झूला, पचरा, कजरी, सोहर, संस्कार गीत व कव्वाली आदि
अवध क्षेत्र - ढिमरियाई, चंगेलिया, कुहाई, आल्हा, राछरा, दिवारी, हरदौल, पंवारा, ईसुरी फाग, तकरारगीत झूला, होरी, रसिया, बम रसिया, ब्रज मल्हार, पटका व समाज गायन आदि
बुन्देलखण्ड क्षेत्र - आल्हा सामान्यतः पूरे प्रदेश में और विशेषतः
बुन्देलखण्ड क्षेत्र - रागिनी, ढोला, लावनी, गुजरी, बन्ना व कव्वाली आदि
पश्चिमी क्षेत्र - भजन, पूरन भगत, निर्गुण, पचरा व भर्तृहरि
भक्तों/साधुओं द्वारा
संगीतकला (शास्त्रीय नृत्य ) Shashtriya Gayan Vadan Sangeetkala
- प्रदेश का एकमात्र शास्त्रीय नृत्य
कथक - कथक के लिए प्रसिद्ध घराने
लखनऊ व वाराणसी - विन्दादीन, शम्भूमहाराज, लच्छू महाराज (बैजनाथ महाराज, उर्मिला शर्मा, शैलजा सिंह, परोमिता दास, मिश्र), कालका महराज, अच्छन महराज, बिरजू पायल उपाध्याय, परख मदान, द्विपैय्न दास, तनुश्री आदि कथक नर्तक हैं
लखनऊ घराने के - पं. शिवनन्दन मिश्र, बड़े रामदास, छोटे रामदास, जैकरण मिश्र, हरिशंकर मिश्र, गोपीकृष्ण चौबे, उदयशंकर, महादेव मिश्र, सितारादेवी, अलखनन्दा आदि कथक नर्तक हैं
वनारस घराने के
संगीतकला (प्रमुख लोक नृत्य)
- चंगेलिया, बिमिराई, शैतान व जवारा नृत्य
बुन्देलखण्ड - ख्याल नृत्य (पुत्र जन्मोत्सव पर)
बुन्देलखण्ड - कुम्हराई नृत्य (कुम्हारों द्वारा)
बुन्देलखण्ड - सैरा/सौरा/सायरा नृत्य (फसल काटते समय)
बुन्देलखण्ड - घोड़ा नृत्य (मांगलिक अवसरों पर घोड़ों द्वारा)
बुन्देलखण्ड
शास्त्रीय गायन वादन उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती 2024
- देवी नृत्य
बुन्देलखण्ड - राई नृत्य (महिलाओं द्वारा जन्माष्टमी)
बुन्देलखण्ड - पाई डण्डा नृत्य (बुन्देलखण्ड का डांडिया, यादव समाज, भाद्र)
बुन्देलखण्ड - दीवारी (मौनिया) या बरेदी नृत्य (दीपावली पर बाजों पर लाठी-डंडों के साथ, यादव)
बुन्देलखण्ड - कानरा नृत्य (किसी उत्सव पर धोबी समाज के कलाकारों द्वारा)
बुन्देलखण्ड - नरसिंह नृत्य (नरसिंह चर्तुदशी पर, पौराणिक कथानक पर)
ब्रज क्षेत्र - कीर्तन नृत्य (गौणीय परम्परा के भक्त, मृदंग, मजीरा के साथ)
ब्रज क्षेत्र - रासनृत्य (रासलीला के समय)
ब्रज क्षेत्र - रासक दण्ड नृत्य
ब्रज क्षेत्र - मयूर नृत्य (मोर पंख पहनकर)
ब्रज क्षेत्र - झूला नृत्य (श्रावण मास मंदिरों में)
ब्रज क्षेत्र - चरकुला (108 दीपों का पिंजरा या चरकुला सिर पर रखकर महिलाओं द्वारा)
ब्रज क्षेत्र - घड़ा नृत्य (रथ पहिए के ऊपर घड़ा रखकर)
ब्रज क्षेत्र - लट्ठमार होली नृत्य (बरसाना व नन्दगांव)
ब्रज क्षेत्र - नटवरी नृत्य (अहीर समाज)
पूर्वांचल क्षेत्र - कठघोड़वा नृत्य (कृत्रिम घोड़ा लेकर)
पूर्वांचल क्षेत्र - झूमर नृत्य (मांगलिक अवसर, महिलाएं एक दूसरे का हाथ पकड़कर)
पूर्वांचल क्षेत्र - गोड़उ नृत्य (प्रहसन प्रधान, बीच-बीच में हरबोल)
पूर्वांचल क्षेत्र - डोमकच नृत्य (डोम समाज के लोगों द्वारा)
पूर्वांचल क्षेत्र - बिदेसिया नृत्य (नाट्य प्रधान, पति के विदेश जाने पर पत्नी द्वारा करुण प्रधान)
पूर्वांचल - शिव बारात नृत्य (भूत-प्रेतों का रूप बनाकर) हिंडिया नृत्य (महिलाएं छिद्र युक्त मटके में दीप रखकर)
पूर्वांचल क्षेत्र - नटुआ नृत्य (नटुआ लोग द्वार-द्वार जाकर)
पूर्वांचल क्षेत्र - घोबिया नृत्य (धोबी समाज द्वारा)
पूर्वांचल क्षेत्र - कहरउंवा (कहार समाज द्वारा)
पूर्वांचल क्षेत्र - नकटौरा नृत्य (महिलाएं, पुरुष वेश धारणकर)
पूर्वांचल क्षेत्र - फरुहाई नृत्य (पांव व कमर में घुंघुरु बांधकर लाठी-डंडो के साथ, यादव समाज )
अवध क्षेत्र - बधाई नृत्य (राम जन्मोत्सव पर)
अवध क्षेत्र - जोगिनी नृत्य (रामनवी पर, पुरुष स्त्री का रूप बनाकर)
अवध क्षेत्र
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Shashtriya Gayan Vadan Sangeetkala 2024
- बहुरूपिया नृत्य (भिन्न-भिन्न रूप बनाकर)
अवध क्षेत्र - डेढ़िया नृत्य (मिट्टी की जालीदार मटका लेकर,
अवध क्षेत्र - नऊवा झाखड़, ढफला व सुराही नृत्य
अवध क्षेत्र - करमा नृत्य (जनजातीय समाज)
मिर्जापुर सोनभद्र क्षेत्र - ढरकहरी नृत्य
मिर्जापुर-सोनभद्र क्षेत्र - ठडिया नृत्य (सरस्वती चरणों में)
मिर्जापुर-सोनभद्र क्षेत्र - शैला या शैरा (युवक पैर में घुंघरू, कमर में मोर पंख बाँधकर)
मिर्जापुर सोनभद्र
चौलर नृत्य (अच्छी वर्षा व फसल हेतु)
मिर्जापुर-सोनभद्र क्षेत्र
- रागिनी व गुजरी (घाघरा पहनकर) आदि नृत्य
पश्चिमी क्षेत्र
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