इस ब्लाग पाेस्ट में देश व राज्य की विभिन्न परीक्षाओं के लिये अति उपयोगी अध्ययन सामाग्री जैसे मुहावरे और लोकोक्तियाँ का सही समावेश मिलेगा छात्र इस पोस्ट में लोकोक्तियों की भरपूर सामाग्री नीचे प्राप्त कर सकेंगे मैं आप लोगों के लिये अपना 100 प्रतिशत प्रयास हमेशा करता रहूँगा।
मुहावरे व लोकोक्तियाँ free pdf

| 1. | अक्ल पर पत्थर पड़ना | बुद्धिभ्रष्ट होना । |
| 2. | अपना – अपना है , पराया – पराया है | अपने और पराये की पहचान। |
| 3. | अपना – सा मुँह लेकर रह जाना | लज्जित होना /निराश होना। |
| अपमान का घूँट पीना | मान हानि होनें पर भी चुप रहना। | |
| 4. | अमरबेल बनना | दृढ़तापूर्वक चिपकना। |
| 5. | अपना सोना खोटा तो परखैया का क्या दोष | जब अपनें ही लोग बुरे हों, तो पराये को क्या दोष दिया जाय। |
| 6. | अन्धें को आँखें मिलना | मनोरथ सिद्ध होना। |
| 7. | अति करना | सीमा या मर्यादा का उल्लंघन करना। |
| 8. | अन्न जल उठना | किसी स्थान से सम्बन्ध समाप्त होना / किसी दूसरे स्थान पर जाने को विवश होना। |
| 9. | अपनी नींद सोना अपनी नींद जागना | अपनी इच्छानुसार कार्य़ करना। |
| 10. | अपनी माँ का दूध पिए होना | अपनी इच्छानुसार कार्य़ करना। |
| 11. | अरक निकालना | सार निकालना। |
| 12. | अर्द्धचन्द्र देना | गर्दन पकड़कर निकाल देना। |
| 13. | अलादीन का चिराग | आश्चर्यजनक वस्तु। |
| 14. | अँगूठा छाप होना | अनपढ़ होना। |
| 15. | अण्टी मारना | चाल चलना। |
| 16. | अघायल बगुला के पोठिया तीत | जिसकी जरूरत पूरी हो गई, उसके लिए साधारण प्राप्ति महत्वहीन। |
| 17 | अपने मन से जानिये पराये मन की बात | अपने मन की भावना के अनुरूप दूसरे को समझें। |
| 18. | अतिशय भक्ति चोर के लक्षण | ढ़ोंग करने वाला कपटी होता है। |
| 19. | आगे कुआँ पीछे खाई | हर तरफ विपत्ति होना। |
| 20. | आक़बत में दिया दिखाना | परलोक में काम आना । |
| 21. | आकाश का फूल | अप्राप्य वस्तु। |
| 22. | आकाश पर दीया जलाना | बड़ी वीरता और साहस का काम करना। |
| 23. | आग का बाग | सुनार की अँगीठी/आतिशबाजी। |
| 24. | आग लेने आना | आकर तुरन्त लौट जाना। |
| 25. | आग से पानी हो जाना | क्रोध शान्त हो जाना । |
| 26. | आटे की आया | भोली स्त्री। |
| 27. | आठ-आठ आँसू रोना | बहुत रोना। |
| 28. | आन की आन में | शीघ्र ही। |
| 29. | आफ़त की परकाला | अथक परिश्रमी। |
| 30. | आफ़त की पुड़िया | कष्टदायक या भयानक शक्ति। |
| 31. | आसमान पर चढ़ना | अत्यधिक अभिमान करना |
| 32. | आसमान फट जाना | अनहोनी बात होना। |
| 33. | आकाश टूट पड़ना | अकस्मात् विपत्तियों का आना |
| 34. | आकाश-पाताल एक करना | सारे प्रयास कर डालना। |
| 35. | आकाश-पाताल का अन्तर होना | बहुत बड़ा अन्तर |
| 36. | आकाश का कुसुम होना | पहुँच के बाहर होना। |
| 37. | आज का बनिया कल का सेठ | थोड़े लाभ में अकड़ने वाला |
| 38. | आप मियाँ गँगरू द्वारे दरवेश | स्वयं कंगाल दूसरे को क्या देगा। |
| 39. | आपे के बाहर होना | अत्यन्त क्रोधित होना। |
| 40 | आटे दाल का भाव मालूम होना | मुसीबत में पड़ना/वास्तविक स्थिति का सामना करना। |
| 41. | आँख फाड़ कर देखना | घूर-घूर कर देखना। |
| 42. | आग में घी डालना | क्रोध को बढ़ावा देना। |
| 43. | आसमान से बातें करना | बहुत ऊँचा होना। |
| 44. | आसमान के तारे तोड़ना | असम्भव कार्य करना। |
| 45. | आयी तो रोजी नहीं तो रोजा | कमाया तो खाया, नहीं तो भूखा। |
| 46. | आठ बार नौ त्यौहार | मौज- मस्ती के अधिक अवसर होना। |
| 47. | आँखों में चर्बी चढ़ना | अधिक घमण्ड होना/मदान्ध होना। |
| 48. | आँखों से गिरना | सम्मान खो देना। |
| 49. | आँखें पथरा जाना | आँखें थक जाना.। |
| 50. | आँख का तारा होना | बहुत प्यारा होना। |
| 51. | आँख चुराना | छिप जाना/सामने न आना। |
| 52. | आँख रखना | निगरानी करना। |
| 53. | आँखों में धूल झोंकना | धोखा देना। |
| 54. | आँख रखना | निगरानी करना। |
| 55. | आँखों में खून उतरना | अत्यधिक क्रोध करना। |
| 56. | आँखें फेरना | उपेक्षा करना। |
| 57. | आँखों का पानी गिरना | निर्लज्ज होना। |
| 58. | आँखों के आगे चिनगारी छूटना | मस्तिष्क पर धक्का या चोट लगने से चकाचौंध होना। |
| 59. | आँखों पर रखना | सम्मानपूर्वक रखना। |
| 60. | आँखों से लगाना | बहुत प्यार करना या श्रद्धा से सम्मान करना। |
| 61. | आँधी के आम | अनायास सस्ते में मिल जाने वाला वस्तु। |
| 62. | अँधेरे में तीर चलाना | अज्ञात में लक्ष्य प्राप्ति की कोशिश करना। |
| 63. | इतिश्री कर देना | समाप्त कर देना। |
| 64. | इधर की उधर करना | लगाना-बुझाना/चुगली करना। |
| 65. | इधर की दुनियां उधर होना | अनहोनी होना। |
| 66. | इज्जत अपने हाथ होना | मर्यादा का वश में होना |
| 67. | इन्द्र का अखाड़ा | विलासी समाज। |
| 68. | इज्जत में बट्टा लगना | प्रतिष्ठा खराब करना। |
| 69. | इक नागिन अरू पंख लगाई | दोष पर दोष होना। |
| 70. | ईंट का जवाब पत्थर से देना | किसी की दुष्टता का करारा जवाब देना। |
| 71. | ईमान बगल में दबाना | बेईमानी करना। |
| 72. | उलटा पासा पड़ना | विपरीत परिणाम निकलना। |
| 73. | उड़ती चिड़ियां पहचानना | रहस्य की बात तत्काल जान लेना। |
| 74. | उर्वशी होना | प्रिय होना। |
| 75. | उन्नीस-बीस होना | लगभग एक समान होना। |
| 76. | उतार- चढ़ाव देखना | अनुभव प्राप्त करना। |
| 77. | उँगली पर नाचना | वश में होना। |
| 78. | उँगली उठाना | बदनामी करना/आरोप लगाना |
| 79. | उड़ती तीर लेना | अकारण मूसीबत मोल लेना |
| 80. | उधेड़बुन में पड़ना | सोच-विचार में पड़ना। |
| 81. | उलटी माला फेरना | अहित सोचना। |
| 82. | उल्लू बोलना | उजाड़ होना। |
| 83. | उलटी गंगा बहाना | प्रतिकूल कार्य करना। |
| 84. | ऊसर में बीज बोना | निष्फल कार्य करना। |
| 85. | ऊसर बरसे तृन नहिं जाय | मूर्ख पर उपदेश का प्रभाव नहीं पड़ता । |
| 86. | ऊधो का लेना न माधो का देना | सभी झमेंलों से लगे रहना/ किसी से सम्बन्ध न रखना। |
| 87. | ऊँची-नीची सुनना | भला-बुरा कहना। |
| 88. | ऊँची फेंकना | गप्पे मारना। |
| 89. | ऊँचा सुनना | कम सुनना। |
| 90. | ऊँचे निचे पैर पड़ना | गलत कार्य होना। |
| 91. | ऊँचे चढ़ के देखा तो घर-घर एक ही लेखा | सभी की स्थिति समान। |
| 92. | ऊँट किस करवट बैठे | परिणाम की सन्दिग्धता। |
| 93. | ऊँट की गरदन | ऊँची गरदना। |
| 94. | ऊँट की चोरी निहुरे-निहुरे | बड़ा काम लुक-छिप कर नहीं होता । |
| 95. | एड़ी चोटी का पसीना एक करना | कठिन परिश्रम करना। |
| 96. | एक पन्थ दो काज | एक साथ दो लाभ प्राप्त करना। |
| 97. | एक ही कहना | अनोखी/विचित्र बात कहना। |
| 98. | एड़ी से चोटी तक | सिर से पैर तक। |
| 99. | एड़ियाँ रगड़ना | सिफारिश के लिए कत्तर लगाना। |
| 100. | एक- एक नस पहचानना | सब कुछ समझना |
| 101. | एक घाट का पानी पीना | एकता और सहनशीलता का होना। |
| 102. | एक जान हजार अरमान | व्यक्ति की सारी आशाएँ पूरी नहीं होती। |
| 103. | एक टाँग पर खड़ा रहना | सदैव तैयार रहना। |
| 104. | एक से इक्कीस करना | वृद्धी को प्राप्त होना। |
| 105. | एक हाथ से ताली न बजना | एक पक्ष से कुछ नहीं होता । |
| 106. | एक न चलना | सामर्थ्य से परे। |
| 107. | एक की चार लगाना | छोटी बात को बढ़ा –चढ़ाकर कहना। |
| 108. | एक आँख न भाना | थोड़ा भी अच्छा न लगना |
| 109. | एक बूढ़े बैल को कौल बांध भुस देय | अकर्मण्य को कोई भी नहीं रखना चाहता । |
| 110. | ऐरे- गैरे पंच कल्यान | नीच/तुच्छ आदमी। |
| 111. | ऐसी- तैसी करना | अपमानित करना। |
| 112. | ऐंठकर रह जाना | मन-मसोस कर रह जाना |
| 113. | ओले पड़ना | विपत्ति आना। |
| 114. | ओंठ चबाना | क्रोधित हो जाना। |
| 115. | ओर- छोर न मिलना | भेद का पता न चलना। |
| 116. | ओस पड़ जाना | कुम्हला जाना या लज्जित हो जाना। |
| 117. | ओस के चाटे प्यास नहीं बुझती | मुख से शब्द न निकलना। |
| 118. | ओंठ तक न हिलना | घृणा प्रकट करना। |
| 119. | जले पर नमक छिड़कना | क्रोध बढ़ाना |
| 120. | औंधे मुँह गिरना | धोखा खाना। |
| 121. | औने पौने करना | मनमाने दाम पर बेचना। |
| 122. | और का और होना | कुछ का कुछ होना। |
| 123. | और ही रंग खिलाना | कुछ विचित्र करना। |
| 124. | औंधी खोपड़ी का होना | मूर्ख होना। |
| 125. | अंक भरना | स्नेह से लिपट लेना। |
| 126. | अंग में अंग न समाना | अत्यन्त प्रसन्न होना। |
| 127. | अंगारे उगलना | क्रोध में कठोर वचन बोलना। |
| 128. | अंजर – पंजर ढ़ीला होना | दुर्बल हो जाना। |
| 129. | अँतड़ियों का बल खोलना | बहुत दिनों के बाद भोजन प्राप्त होने पर भरपेट खाना। |
| 130. | कमर बाँधना | तैयार होना। |
| 131. | कमर सीधी करना | आराम करना। |
| 132. | करेगा सेवा खायेगा मेवा | अच्छे और गुणियों की सेवा का फल हमेशा अच्छा होता है। |
| 134. | कलेजे पर साँप लोटना | ईर्ष्या या जलन होना। |
| 135. | कलेजे पर पत्थर रखना | मुश्किल में धैर्य धारण करना। |
| 136. | कच्ची गोटी खेलना | असफल प्रयास/अनुभवहीन |
| 137. | कफन से सिर बाँधना | हर तरह के बाधा झेलने के लिए तत्पर |
| 138. | कटकर रह जाना | अत्यन्त लज्जित होना। |
| 139. | कन्धे से कन्धे मिलाना | पूर्ण रूप से सहयोग देना। |
| 140. | कन्धा डालना | हार मान लेना। |
| 142. | कन्धा लगाना | सहारा बनना। |
| 143. | कहकहा मारना | खूब जोर से हँसना। |
| 144. | कलेजा थामकर रह जाना | मन-मसोस कर रह जाना। |
| 145. | कल पड़ना | चैन मिलना। |
| 146. | कल्पना के घोड़े दौड़ाना | बिना सिर पैर की बात करना। |
| 147. | कलेजा दो टूक होना | बहुत दुखी होना। |
| 148. | कलेजा मुँह को आना | दुख होना। |
| 149. | कभी घी घना, कभी मुट्ठी –भर चना, कभी वह भी मना | व्यक्ति की स्थिति सदा समान नहीं रहतीं। |
| 150. | कौआ चला हंस की चाल | अन्ध-अनुकरण करना। |
| 151. | कूद-कूद मछली बगुले को खाय | बिल्कुल विपरित कार्य |
| 152. | काम का न काज का दुश्मन अनाज का | बिना काम किये बैठे –बैठे खाना। |
| 153. | कान पर जूँ न रेंगना | किसी बात पर ध्यान न देना। |
| 154. | काजल की कोठरी | कलंकित होने का स्थान। |
| 155. | काटो तो खून नहीं | बहुत डर जाना। |
| 156. | कागज की नाव | अस्थायी वस्तु। |
| 157. | कान पकड़ना | गलती स्वीकार करना। |
| 158. | कान में तेल डाले बैठना | अनसुनी कर देना। |
| 159. | कागज काले करना | व्यर्थ लिखना। |
| 160. | कान खाना | ज्यादा बाते करके कष्ट पहुँचाना। |
| 162. | काबुल में क्या गधे नहीं होते | अच्छे स्थान पर बुरे लोग भी होते हैं। |
| 163. | कान फूँकना | चुपके से कह देना। |
| 164. | कान लगाना | ध्यान देना। |
| 165. | काठ का उल्लू | बड़ा मूर्ख। |
| 166. | कागजी घोड़े दौड़ना | खूब लिखा-पढ़ी करना। |
| 167. | काफूर होना | गायब होना। |
| 168. | किये कराये पर पानी फेरना | बिगाड़ देना। |
| 169. | कौवे उड़ाना | निकृष्ट कार्य करना। |
170.मुहावरे व लोकोक्तियाँ PET Exam pdf |
||
मुझे आशा है कि आप इन मुहावरो को पढ़कर मन ही मन मुझे धन्यवाद देने के कामना कर रहे होगें। परीक्षा उपयोगी सभी प्रकार की सामाग्री इस पोस्ट पर आता रहेगा बस आपका आशीर्वाद मिलता रहै कमेन्ट में आप अपना स्नेह प्रदान करते रहें। धन्यवाद।
आपका भाई
RK Maurya
Gorakhpur
Best