आज के इस पोस्ट में लाटी कहानी का सारांश Lati Kahani Ka Sarans बताया गया है। मैने इसको बड़े ही मन से आप के लिये तैयार किया है। ये कहानी हर वर्ष परीक्षा में पूछे जाते हैं। अत: आप इसे अन्तिम तक पढें।
प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं कथा लेखिका शिवानी द्वारा कृत लाठी कहानी एक घटना प्रधान कहानी है। शिवानी जी की कहानियों में नारी के विभिन्न रूपों का सुंदर चित्रण होता है। सामाजिक रूढ़ियों और आडंबरों पर यह शालीन व्यंग करती है।
Lati Kahani Ka Sarans
लाठी कहानी में कप्तान जोशी का वर्णन है जो अपनी बीमार पत्नी बानो से अत्यधिक प्रेम करते हैं।
टीवी का मरीज़ होने के कारण जब उनकी पत्नी जिंदगी से निराश हो जाती है तो वह नदी में कूद कर आत्महत्या करने का प्रयास करती है तथा बाद में लाठी बनाकर कप्तान से मिलती है परंतु बोल नहीं पाती इस कहानी का सारांश निम्नलिखित है।
कप्तान जोशी गोठिया टीवी सेनेटोरियम के तीन नंबर के बंगले में दो गुना किराया देकर अपनी बीमार पत्नी बानो के साथ रहता था। बानो से अत्यधिक प्रेम के कारण वह उसको देख सहज भाव से मुस्कुरा देता था तथा उसे प्रसन्न करने की पूरी कोशिश करता था। बंगले के बरामदे में पत्नी के पलंग के पास वह दिन भर कुर्सी डाले बैठा रहता था कभी अपने हाथों से टेंपरेचर चार्ट भरता था ।
कभी समय देख-देख कर दवाइयां देता था। पास के बंगले में मरीज बड़ी तृष्णा और चाव से इन कबूतर की जोड़ी को देखते थे। ऐसी घातक बीमारी पर भी बड़े यत्न और स्नेह से कप्तान अपनी पत्नी की सेवा करता था।

कप्तान जोशी
विवाह के दो वर्ष बाद ही बानो को भयंकर तपेदिक हो गया था कप्तान दिन-रात सेवा करता तथा उसे बेहद प्यार करता था। माता-पिता के पत्र आते की यह भयंकर बीमारी है तुम बचकर रहो मां ने रो-रोकर पत्र लिखा कि मेरे पास दस बेटे नहीं है तुम अकेले हो।
कप्तान पर इन बातों का कोई असर नहीं होता था उसने बानो की सेवा में कोई कमी नहीं रखी।
बानो से विवाह के ठीक तीसरे दिन कप्तान को बसरा जाना पड़ा था। बानो को छोड़कर जाना उसके लिए असहनीय था। उसने बानो से पहली मुलाकात में ही उसका नाम पूछा जब उसने अपना नाम बानो बताया तो कप्तान ने मजाक में कहा कि यह तो मुसलमानी नाम है जब बानो की आंखें छलक उठी तो कप्तान बोला मैं तुम्हें छेड़ रहा था कितना प्यारा नाम है।
अभी बानो केवल सोलह वर्ष की थी। कप्तान दो वर्ष बाद वापस आता है। इस बीच बानो ने सात -सात नंदन के ताने सुने भतीजे के कपड़े धोए ससुर के होज बुने पहाड़ सी नुकीली चोटी पर पांच-पांच सेर उड़द पीसकर बङिया डालें।
बानो से विवाह
उससे कहा गया था कि तेरे पति को जापानियों ने कैद कर लिया है अब वह कभी नहीं लौटेगा सास और चचिया सास के व्यंग बढ़ उसे व्याकुल कर देते हैं वह खोखली होती गई और एक दिन क्षय रोग से पीड़ित होकर उसने चारपाई पकड़ ली। दो साल बाद कप्तान आया और उसने बानो को देखा तो उसके चेहरा लटक गया।
एक प्राइवेट वार्ड के बरामदे में लेती बानो को देखकर कप्तान की होश उड़ गए। दो वर्ष से बानो घिसकर और भी बच्ची बन गई थी कप्तान को देखकर उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे बानो की नाजुक हालत देखकर अंत में डॉक्टर ने कप्तान को नोटिस दे दिया कि कमरा खाली करके मरीज को ले जाइए कप्तान ने बानो से कहा घर नहीं दूसरी जगह चलेंगे।
डाक्टर ने कप्तान को नोटिस दिया
सुबह उठा तो कप्तान ने देखा कि बानो पलंग पर नहीं थी दूसरे दिन नदी के घाट पर बानो की साड़ी मिली तो वह समझ गया कि उसने आत्महत्या का प्रयास किया है। कप्तान का एक साल में ही विवाह हो जाता है दो बेटे और एक बेटे उसकी दूसरी पत्नी प्रभा ने उसे दिए कप्तान अब मेजर हो गया कुछ साल बाद कप्तान प्रभा के साथ नैनीताल घूमने आया।
Also Read धर्मवीर भारतीय और मीरा बाई के जीवन की कथा
प्रभा की जिद Lati Kahani Ka Sarans
प्रभा की जिद पर वह सड़क की चाय की दुकान पर उसके साथ चाय पीने बैठ गया।
जहां वह चाय पीने बैठा था वहीं पर वैष्णवी साध्वियों के झुंड के साथ उसे बानो मिलती है जो कि जीभ कट जाने के कारण बोल नहीं सकती और उसकी याददाश्त भी जा चुकी है। प्रभा उसकी सुंदरता पर मुग्ध थी। वैश्णवियों के ही बातचीत से कप्तान को यह निश्चित हो जाता है की लाठी ही बानो है।
लाटी ही बानो है Lati Kahani Ka Sarans
उसका प्रेम अभी भी बानो के प्रति समाप्त नहीं हुआ था लेकिन अब वह जीवन की दौड़ में बहुत आगे बढ़ चुका था वह सोच ही रहा था तभी प्रभा ने चलने के लिए कह दिया वह उठ खड़ा हुआ उसे अनुभव हुआ कि कुछ ही पलों में वह वृद्ध और खोखला हो चुका है यहीं पर कथा का समापन हो जाता है।
आज का यह पोस्ट कैसा लगा कमेन्ट करके जरुर बताइयेगा।