आज के इस पोस्ट में Uttar Pradesh Loknaty Mela Utsav उत्तर प्रदेश लोकनाट्य मेला उत्सव चलचित्र की पूरी जानकारी प्रदान की गयी है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिये यह पोस्ट एक खाद के जैसा है। आप अन्तिम लाइन तक पूरा पढ़ें और कमेन्ट करके जरुर बताये कि आपको यह पोस्ट कैसा लगा?
लोक नाट्य Uttar Pradesh Loknaty Mela Utsav
प्रदेश के अंचलों में लोकनाट्य की एक समृद्ध परम्परा रही है।
नागरसभा, भरथरी, स्वांग सपेड़ा, रावला, गुलाबो-सिताबो (पुतुल नाट्य), ख्याल, स्वांग, भगत, नौटंकी (सांगीत), विदेसिया, रामलीला, रासलीला आदि प्रदेश के प्रमुख लोकनाट्य – हैं, जिनमें विभिन्न कारणों से 20वीं सदी के मध्य से तेजी से क्षरण होता चला आ रहा है।
अब मैं रामलीला, रासलीला और नौटंकी ही प्रदेश के प्रतिनिधि लोकनाट्य के रूप में अभिहित किये जा सकते हैं।
- प्रदेश में लोकनाट्य कठपुतली के ग्लब्स र व रॉड पपेट प्रकार का अधिक प्रचलन है। गुलाबों- सिताबों प्रदेश की पहली ग्लब्स पपेट है, जो कि अवध के नबाव वाजिद अली के जीवन पर आधारित कहानी है।
- गुलाबों-सिताबों व काबुलीवाला टैगोर की रचनाएं हैं।
- वैसे पूरे प्रदेश में रामलीला का आयोजन किया जाता है, लेकिन रामनगर (वाराणसी) के रामलीला को प्रतिनिधि रामलीला कहा जा सकता है।
- रामलीला में अवधी के साथ-साथ स्थानीय भाषाओं का भी प्रभाव रहता है।
- प्रयागराज का रामलीला अपनी विशिष्ट शैली के लिए प्रसिद्ध है।
- लोकनाट्य रासलीला का मंचन अभी भी प्रायः व्रजभाषी लोगों द्वारा ही किया जाता है। अतः इसमें पारंपरिक लय व अनुशासन विद्यमान है।
- प्रदेश में कानपुर, हाथरस आदि नौटंकी की प्रमुख शैलियाँ या घराने हैं। हाथरसी शैली में भक्ति व वीर रस की प्रधानता होती है, जबकि कानपुरी शैली मनोरंजन प्रधान है।
मेले Uttar Pradesh
उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष लगभग 2,250 मेलों का आयोजन किया जाता है, जो कि राज्य के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं।
राज्य में सर्वाधिक 86 मेले मथुरा में, फिर कानपुर (80), हमीरपुर ( 79 ), झाँसी (78), आगरा (72) तथा फतेहपुर (70) मेले लगते हैं। सबसे कम मेले पीलीभीत में लगते हैं।
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Uttar Pradesh Loknaty उत्सव-महोत्सव।
लखनऊ महोत्सव-इस महोत्सव में अवध के परम्परागत संगीत, नृत्य, वैभव, नजाकत एवं नफासत का दिग्दर्शन कराया जाता है।
बौद्ध महोत्सव-प्रत्येक वर्ष कुशीनगर, श्रावस्ती व संकिसा में।
बुद्ध महोत्सव-सारनाथ (वाराणसी में)
वाराणसी उत्सव-इस उत्सव में भारतीय
धर्म एवं संस्कृति तथा ज्ञान-विज्ञान का प्रस्तुतीकरण किया जाता है। यह एक पर्यटन उत्सव है।
सुलहकुल उत्सव-हिन्दू-मुस्लिम एकता का यह उत्सव आगरा में मनाया जाता हैं।
कन्नौज उत्सव-पर्यटन विभाग द्वारा यह उत्सव प्रत्येक वर्ष कन्नौज में मनाया जाता है।
ताज महोत्सव-प्रत्येक वर्ष फरवरी माह में – ताजनगरी ‘आगरा’ में आयोजित इस पर्यटन महोत्सव – में मुगलकालीन संस्कृति तथा भारतीय ललित कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है।
राम बारात उत्सव– (Uttar Pradesh Loknaty Mela Utsav)
यह उत्सव प्रत्येक वर्ष आगरा में मनाया जाता है।
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प्रयाग महोत्सव – प्रदेश सरकार के संस्कृति
विभाग के सहयोग से प्रतिवर्ष इस पर्यटन उत्सव का अयोजन प्रयागराज में किया जाता है।
त्रिवेणी महोत्सव-प्रत्येक वर्ष फरवरी में प्रयागराज स्थित वोट क्लब पर होने वाले इस आयोजन में प्रदेश की मिश्रित संस्कृति का अवलोकन कराया जाता है।
कम्पिल उत्सव-फर्रुखाबाद के रामेश्वर नाथ, कामेश्वर नाथ तथा जैन मंदिरों में आयोजित इस पर्यटन उत्सव में विभिन्न धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
सारधाना महोत्सव-इस महोत्सव का आयोजन प्रत्येक वर्ष मेरठ के सरधाना में किया जाता है।
लठमार होलिकोत्सव-प्रत्येक वर्ष फाल्गुन महीने में मथुरा जिले में बरसाना व उसके एक दिन बाद नंदगांव में यह उत्सव आयोजित होता है।
- बुन्देलखण्ड के लोध-राजपूत बहुल लगभग 300 गांवों में लठमार होली मनायी जाती है।
Uttar Pradesh Loknaty Mela Utsav की जानकारी
बिठूर गंगा महोत्सव-कानपुर के बिदूर नामक स्थान पर प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में गंगा के तट पर इस महोत्सव का अयोजन होता है।
गंगा महोत्सव-राज्य सरकार के सहयोग से प्रत्येक वर्ष इसका आयोजन वाराणसी में किया जाता है।
यमुना जन्मोत्सव-प्रत्येक वर्ष चैत छठ को मथुरा नगर के विश्राम घाट पर यह महोत्सव मनाया जाता है।
कबीर उत्सव-सन्त कबीर विषयक जीवन दर्शन को अधिकाधिक प्रसारित करने हेतु संत कबीर नगर जनपद के मगहर में प्रत्येक वर्ष इस उत्सव / मेले का आयोजन किया जाता है।
झाँसी महोसत्व-राज्य के संस्कृति विभाग
द्वारा प्रत्येक वर्ष फरवरी माह में पाँच दिवसीय
उत्तर प्रदेश के महोत्सव
आयुर्वेद महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
सैफई महोत्सव-प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में इस महोत्सव का आयोजन सैफई (इटावा) में किया जाता है।
कजरी महोत्सव-यह महोत्सव प्रत्येक वर्ष मिर्जापुर में मनाया जाता है।
सोन महोत्सव-यह महोत्सव प्रत्येक वर्ष सोनभद्र जिले में मनाया जाता है।
वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल-इसका आयोजन प्रयागराज में किया जाता है।
कल्कि महोत्सव-यह महोत्सव प्रत्येक वर्ष संभल में मनाया जाता है।
चलचित्र (फिल्म)
भारत के Uttar Pradesh Loknaty Mela Utsav फिल्म उद्योग (हिन्दी) में दर्शकों एवं कलाकारों दोनों ही दृष्टि से उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण स्थान है। बालीवुड के हिन्दी फिल्मों का सबसे बड़ा बाजार उत्तर प्रदेश ही है।
- ऐसा माना जाता है कि भारत की पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ (1931) के निर्देशक बी.पी. मिश्र थे, जो कि देवरिया के रहने वाले थे।
- प्रदेश के लोक भाषाओं, यथा-ब्रज, भोजपुरी, बुन्देली आदि में से भोजपुरी में सर्वाधिक फिल्मों का निर्माण किया जाता है।
- 10 सितम्बर, 1975 को उ.प्र. चलचित्र निगम की स्थापना की गई है।
- सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा प्रदेश के सांस्कृतिक, पर्यटन, कृषि, साहित्यिक, औद्योगिक, ग्राम्य विकास तथा अन्य विकास सम्बंधी विषयों पर वृत्त चित्र एवं समाचार चित्र निर्मित किये जाते हैं। अब तक 100 से अधिक समाचार चित्र व 165 से अधिक वृत्त चित्र तैयार किये जा चुके हैं। लखनऊ मेरा लखनऊ, महात्मागांधी और उ.प्र., चोर-चोर, नैमिषारण्य, ब्रज होली, ग्राम्या, बुन्देलखण्ड विकास की चमक हर आँख में आदि प्रमुख वृत्त चित्र हैं।
- नोएडा छोटी फिल्म सिटी मानी जाती है।
- राज्य में फिल्म उद्योग के विकास हेतु प्रथम फिल्म नीति 1999 में घोषित की गई थी। 2001 के फिल्म नीति के तहत प्रदेश में फिल्म विकास परिषद का गठन किया गया। प्रदेश को फिल्म उद्योग के क्षेत्र में अग्रणी बनाने हेतु नई फिल्म पालिसी-2018 लागू की गई है।
- फिल्म नीति के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु ‘उत्तर प्रदेश फिल्म बन्धु’ का गठन किया गया है।