UP Board Exam 2024 Pandit Pratapnarayan Mishra

दोस्तों अगर आप UP Board Exam 2024 Pandit Pratapnarayan Mishra सर्च कर रहें हैं तो आप एकदम सही वेबसाइट पर आये हैं। इस पोस्ट में आपको सारी जानकारी मिल जायेगी जो आपके परीक्षा के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण होगी।

UP Board Exam 2024 Pandit Pratapnarayan Mishra

जीवन परिचय :- पं- प्रतापनारायण मिश्र का जन्म 1856 ईं0 में उन्नाव जिले के बैजे नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता संकटाप्रसाद एक बिख्यात ज्योतिषी थे और इसी शिक्षा के द्वारावे  कानपुर में आकर बसे थे। संकटाप्रसाद ने मिश्र जी को भी ज्योतिष की शिक्षा देना चाहा, पर मिश्र जी का मन इस शिक्षा में नही लग सका ।

Up board Exam 2024
Up board Exam 2024

UP Board Exam 2024

अंग्रेजी शिक्षा के लिए इन्होने स्कूल में प्रवेश लिया , किन्तु उनका मन अध्ययन में भी नहीं लगा । इन्होंने मन लगा कर किसी भी भाषा का अध्ययन नहीं किया , तथापि इन्हें हिन्दी, उर्दू , फारसी, संस्कृत और बँगला का अच्छा ज्ञान हो गया था। एक बार ईश्वरचन्द्र विद्यासागर इनसे मिलने आये तो इन्होंने उनके साथ पूरी बातचीत बँगला भाषा में ही किया। वस्तुत: मिश्र जी ने स्वाध्याय एवं सुसंगति से जो ज्ञान एवं अनुभव प्राप्त किया, उसे गद्य , पद्य एवं निबन्ध आदि के माध्यम से समाज को अर्पित कर दिया। मात्र 38 वर्ष की आयु में ही सन् 1894 ईं में कानपुर में इनका स्वर्गवास हो गया।

UP Board Exam 2024 में पूछे जाने वाली जीवन परिचय


साहित्य परिचय :
 प्रतापनारायण मिश्र जी ने अपना साहित्य जीवन ख्याल एवं लावनियों से प्रारम्भ  किया था, क्योंकि आरम्भ में इनकी रुचि लोक-साहित्य का सृजन करने में थी। यहीं से ये साहित्यिक पथ के सतत प्रहरी बन गये । कुछ सालो के बाद ही ये गद्य लेखन के क्षेत्र में आये। प्रतानारायण मिश्र जी भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित होने के कारण उनको अपना गुरू मानते थे। उनकी – जैसी ही व्यावहारिक भाषा-शैली अपनाकर मिश्र जी ने कई मौलिक और अनुदूति रचनाएँ लिखी तथा ‘ब्रहाम्ण’ एवं ‘हिन्दुस्तान’ नामक पत्रों का सफलतापूर्वक सम्पादन किया ।

भारतेन्दु जी की
‘कवि –वचन-सुधा’ से प्रेरित होकर मिश्र जी ने कविताएँ भी लिखीं। इन्होंने  कानपुर में एक ‘नाटक  सभा’ की स्थापना भी की, जिसके माध्यम से पारसी थियेटर के समान्तर हिन्दी का अपना रंगमंच खड़ा करना चाहते थे। ये स्वंय भारतेन्दु जी की तरह एक कुशल अभिनेता थे। बँगला के अनेक ग्रन्थों का हिन्दी में अनुवाद करके भी इन्होंने हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि की । इनकी साहित्यिक विशेषता ही थी कि ‘दाँत’, ‘भौं’,  ‘वृद्ध’, ‘धोखा’, ‘बात’, ‘मुच्छ’  – जैसे साधारण विषयों पर भी चमत्कारपूर्ण और असाधारण निबन्ध लिखें।

UP Board Exam 2024 में पूछी जाने वाली कृतियाँ

कृतियाँ : –   मिश्र जी ने अपनी अल्पआयु में ही लगभग 40 पुस्तकों की रचना की । इनमें अनेक कविताएँ , नाटक, निबन्ध, आलोचनाएँ आदि सम्मिलित हैं। इनकी ये कृतियाँ मौलिक एवं अनूदूति दो प्रकार की हैं।

मौलिक : निबन्ध – संग्रह – प्रताप पीयूष ’, ‘निबन्ध नवनीत ’, ‘प्रताप समीक्षा’।
नाटक –  ‘कलि प्रभाव’, ‘हठी हम्मीर’, ‘गौ-सकंट’ ।
रुपक-   ‘कलि – कैतुक’ , ‘भारत-दुर्दशा’
प्रहसन-   ‘ज्वारी – खुआरी’, ‘समझदार की मौत’
काव्य – ‘ मन की लहर ’, ‘श्रृगांर- विलास’, लोकोक्ति-शतक’, ‘प्रेम – पुष्पावली’, ‘दंगल खण्ड’, ‘तृप्यन्ताम्’, ‘ब्राडला-स्वागत’, ‘मानस विनोद’, ‘शैव-सर्वस्य’, ‘प्रताप – लहरी’।
संग्रह –  ‘प्रताप-संग्रह’, ‘रसखान – शतक’।
सम्पादन – ‘ब्राह्मण ’ एवं ‘हिन्दुस्तान’।

अनूदित: – ‘पंचामृत ’, ‘चरिताष्टक’, ‘वचनावली’, ‘राजसिंह ’ , ‘राधारानी ’, ‘कथामाला’, ‘संगीत शाकुन्तल’ आदि।
इनके अतिरिक्त मिश्र जी ने लगभग 10  उपन्यासों , कहानी , जीवन – चरितों और नीति पुस्तकों का भी अनुवाद किया; जिनमें – राधारानी , अमरसिंह , इन्दिरा , देवी चौधरानी , राजसिंह , कथाबाल – संगीत आदि प्रमुख हैं।

भाषा शैली – सर्वसाधारण के लिए अपनी रचनाओं को ग्राहा बनाने के उद्देश्य से मिश्र जी ने सर्वसाधारण की बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है । इसमें उर्दू तथा अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है –
जैसे- कलामुल्लाह , वर्ड ऑफ गॉड आदि। यत्र – तत्र कहावतों, मुहावरों एवं ग्रामीण शब्दों के प्रयोग से उनके वाक्य में रत्न की भाँति ये शब्द जड़ जाते हैं, अत: भाषा प्रवाहयुक्त, सरल एवं मुहावरेदार हैं।

मिश्र जी की शैली के दो रुप मिलते हैं  – (1) हास्य – व्यंग्यपूर्ण विनोदात्मक शैली, (2) गम्भीर विचारात्मक एवं विवेचनात्मक शैली। ‘बात’ मिश्र जी की हास्य – व्यंग्यप्रधान शैली में लिखा गया निबन्ध हैं।

UP board Exam 2024   मुंशी प्रेम चन्द जीवन परिचय

जीवन परिचय: –  महान उपन्यासकार मुंशी प्रेम चन्द का जन्म एक गरीब परिवार  में काशी से चार किलोमीटर दूर लमही गाँव में 31 जुलाई , 1880 ईं0 को हुआ था। इनके पिता का नाम का नाम अजायब राय था वे एक डाक मुंशी थे। सात साल की आयु में माता का और चौदह साल की आयु में पिता का स्वर्गवास हो गया । घर में यों  ही बहुत निर्धनता थी, पिता की मुत्यु के पश्चात इनके सिर पर कठिनाइयों का पहाड़ टूट पड़ा।

रोटी कमाने की चिन्ता बहुत जल्दी इनके सिर पर आ पड़ी  । ट्यूशन करके इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। आपका विवाह कम उम्र में हो  गया था, जो इनके अनुरूप नहीं था, अत: शिवरानी देवी के साथ दूसरा विवाह किया।

UP Board Exam 2024 PDF

स्कूल मास्टरी की नौकरी करते हुए इन्होंने एफ0 ए0 और बी0 ए0 पास किया । स्कूल – मास्टरी के रास्ते पर चलते – चलते सन् 1921 में वह गोरखपुर में स्कूलों में डिप्टी इन्सपेक्टर बन गए । जब गाँधी जी ने सरकारी नौकरी से इस्तीफे का बिगुल बजाया तो उसे सुनकर प्रेमचन्द ने भी तुरन्त त्याग – पत्र दे दिया।

उसके बाद कुछ दिनों तक इन्होंने कानपुर के मारवाड़ी स्कूल में अध्यापन किया फिर ‘काशी विद्यापीठ’  में प्रधान अध्यापक नियुक्त हुए। इसके बाद अनेक पत्र – पत्रिकाओं का सम्पादन करते हुए काशी में प्रेस खोला। सन् 1934-35 में अपने आठ हजार रुपये वार्षिक वेतन पर मुम्बई की एक फिल्म कम्पनी में नौकरी कर ली। जलोदर रोग के कारण 8 अक्टूबर , 1936 ई0 को काशी स्थित इनके गाँव में इनका देहावसान हो गया।

up Board Exam 2024
Up board Exam 2024

UP Board Exam 2024 sahityik parichay

साहित्य परिचय – प्रेमचन्द जी में साहित्य – सृजन की जन्मजात प्रतिभा विद्यमान थी। आरम्भ में ‘नवाब राय’ के नाम में उर्दू भाषा में कहानियाँ और उपन्यास लिखते थे । इनकी ‘सोजे वतन’ नामक क्रान्तिकारी रचना ने स्वाधीनत – संग्राम में एसी हलचल मचायी कि अंग्रेज सरकार ने इनकी यह कृति जब्त कर ली।बाद में ‘प्रेमचन्द’ नाम रखकर हिन्दी हिन्दी साहित्य कि साधना की और लगभग एक दर्जन उपन्यास और तीन सौ कहानियाँ लिखीं ।

इसके अतिरिक्त इन्होंने ‘माधुरी ’तथा ‘मर्यादा‘ पत्रिकाओं का सम्पादन किया तथा ‘हंस’ व ‘जागरण’ नामक पत्र का प्रकाशन किया। जनता की बात जनता की भाषा में कहकर तथा अपने कथा साहित्य के माध्यम से तत्कालीन निम्न एवं मध्यम वर्ग का सच्चा चित्र प्रस्तुत करके प्रेमचन्द जी भारतीयों के ह्रदय में समा गये सच्चे अर्थो  में ‘कलम के सिपाही’ और जनता के दुख दर्द के गायक इस महान कथाकार को भारतीय साहित्य जगत में उपन्यसा सम्राट की उपाधि से विभूषित किया गया ।
कृतियाँ – (1) उपन्यास  –  ‘कर्मभूमी’ ,  ‘कायाकल्प’ ,  ‘निर्मला’,  ‘प्रतिज्ञा ’, ‘प्रेमाश्रम’, ‘वरदान’ ,  ‘सेवासदन’,  ‘रंगभूमी’,
गबन और ‘गोदान’ ।
(2). नाटक –  ‘कर्बला’, ‘प्रेम की वेदी’ , ‘संग्राम’ और ‘रुठी रानी’ ।

(4) निबन्ध – संग्रह – ‘कुछ विचार’ ।

(7) कहानी – संग्रह – ‘ नवनिधि ’,  ‘ग्राम्य जीवन के कहानियाँ ’, ‘प्रेरणा’,  ‘कफन’ , ‘प्रेम पचीसी’, ‘कुत्ते की कहानी’, ‘प्रेम प्रसून’, ‘प्रेम- चतुर्थी’, ‘मनमोदक’, ‘मानसरोवर’, ‘समर – यात्रा’, ।

भाषा शैली – प्रेमचन्द जी की भाषा के दो रुप हैं – एक रुप तो वह है, जिसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों की प्रधानता है और दूसरा रुप वह है , जिसमें उर्दू , संस्कृत , हिन्दी के व्यावहारिक शब्दों का प्रयोग किया गया है। यह भाषा अधिक सजीव, व्यावहारिक और प्रवाहमयी है। इनकी भाषा सहज , सरल व्यावहारिक , प्रवाहपूर्ण, मुहावरेदार एवं प्रभावशाली है। प्रेमचन्द विषय एवं भावों के अनुरूप शैली को परिवर्तित करने में दक्ष थे। इन्होंने अपने साहित्य में प्रमुख रुप से पाँच शैलियों का प्रयोग किया है-

Also Read UP Board Exam 2024 Muhavara

(1) वर्णनात्मक
(2) विवेचनात्मक
(3) मनोवैज्ञानिक
(4) हास्य – व्यंग्यप्रधान शैली तथा
(5) भावात्मक शैली।

‘मन्त्र’  प्रेमचन्द की एक मर्मस्पर्शा कहानी है, जो उच्च एवं निम्न स्थिति के भेदभाव पर आधारित हैं जिसमें लेखक ने विरोधी घटनाओं , परिस्थितियों और भावनाओं का चित्रण करके कर्त्तव्य – बोध का मार्ग दिखाया है।

 

दोस्तों आपको यह पोस्ट कैसा लगा कमेन्ट में जरुर बताइयेगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top