मुहावरा व लोकोक्ति में अन्तर

आज के समय में बोलचाल की भाषा हो या कोई प्रतियोगी परीक्षा सभी में मुहावरो और लोकोक्तियाें का महत्व होता है। कम्प्टीशन के इस युग में हिन्दी के एक एक टापिक को समझना और उस पर अमल करना जरुरी हो चुका है। सिविल सेवा से लेकर लिपिक तक की नौकरी के लिये हिन्दी विषय का टेस्ट होता है। इस टेस्ट परीक्षा में पास होने वाले को ही उस पद पर काम करने का अवसर मिलता है।

मुहावरे और लोकोक्ति में अन्तर

आज के युग में मुहावरे और लोकोक्ति का बहुतायत प्रयोग प्रवक्ता और नेता और कवि कर रहे हैं। मुहावरों के समावेश से वाक्य में जान आ जाती है। पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने वाले  एंकर भी मुहावरो और लोकोक्ति के प्रयोग  से अपने संवाद को धारा प्रवाह करते हैं।

मुहावरे और लोकोक्ति में अन्तर pdf

Muhavare aur lokokti me Antar
Muhavare aur lokokti me antar

 

मुहावरा

लोकोक्ति

1. मुहावरे अपना शाब्दिक / कोशगत अर्थ छोड़कर नया अर्थ देते हैं  ।
2. मुहावरे के अन्त में क्रियापद अवश्य होता है ।
3. मुहावरा वाक्यांश होता है । उसका क्रिया रुप , लिंग , वचन कारक के अनुसार बदल जाता है ।
4. मुहावरों के अन्त में बहुधा ना आ जाता  है ।
जैसे – खाक छानना , चलता बनना , चाँदी काटना ।
5. इनमें माध्यम की आवश्यकता होती है । स्वतंत्र प्रयोग नहीं किया जा सकता है ।
6. फल से कोई सम्बन्ध नहीं ।
7. चमत्कार उत्पन्न करना, अर्थ को साधारण से प्रभावशावली बनाना ।
8. उद्देश्य, विधेय का पूर्ण विधान नहीं होता । वाक्य के प्रयोग के बिना अर्थ का कोई बोध नहीं।
1. लोकोक्तियाँ विशेष अर्थ देती हैं , पर उनका कोशगत अर्थ भी बना रहता है ।
2. लोकोक्तियों को अन्त में क्रियापद का होना आवश्यक नहीं है ।
3. लोकोक्तियाँ स्वयं में एक स्वतंत्र वाक्य होती हैं तथा प्रयोग में आने पर  उनमें कोई परिवर्तन नहीं होता है ।
4. लोकोक्तियों के अन्त में ना आना आवश्यक नहीं होता है ।
5. माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है तथा इनका स्वतंत्र प्रयोग किया जा सकता है ।
6. फल से सम्बन्ध होता है ।
7. चमत्कार उत्पन्न करना, अर्थ को साधारण प्रयोग से प्रभावशाली बनाने जैसा कुछ नहीं होता ।
8. उद्देश्य और विधेय दोनों का पूर्ण  विधान होता है । अर्थ स्पष्ट होता है।

 

मुहावरे का महत्व

मुहावरे के प्रयोग से भाषा की सुन्दरता बढ़ती है इसके प्रयोग से हम अपनी भाषा को रंगीन बना सकते हैं। साथ ही साथ अपनी बात को सरल व सहज तरीके से प्रस्तुत कर सकते हैं।

इसका असर हमारी भाषा और उच्चारण को भी बेहतर बनाता है। साहित्यकार इसके बिना अपने आप को अधूरा मानते हैं। इसको उचित प्रयोग से हम कविता, कहानी और किस्सों में जान डाल सकत हैं।

मुहावरो के सटीक प्रयोग से हम अपने भाषण, संवाद को  अति प्रभावशाली व यादगार भी बना सकते हैं जिसके कारण पाठक व श्रोता में रुचि पैदा होने लगती है।

मुहावरों का प्रयोग व्यंगात्क भाषण, संवाद में अत्यधिक होता है।

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इस पोस्ट में सभी जानकारी जाँच परख कर उपलब्ध करायी गयी हैं। कहते हैं कोई भी ब्यक्ति 100 प्रतिशत पूर्ण नही होता है। इसलिये दोस्तों अगर कहीं पर मात्रादोष दिखाई दे तो उसको इग्नोर करियेगा। मैं कोशिश में रहता हूँ कि आपको सारी चीजें यथार्थ उपलब्ध करवाऊँ। आपके अन्तर्मन के आशीष की कल्पना करते हुए इस पोस्ट से विदा लेता हूँ।

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