दोस्तों आज का हमारा पोस्ट मनुष्य का पाचन तन्त्र (Digestive System of Human) पर है।भोजन को चबाना, चबाए हुए भोजन को निगलना, निगले हुए भोजन को पचाना तथा अपच भोजन को बाहर त्यागना आदि प्रक्रियाएँ पाचक तन्त्र द्वारा होती है। मनुष्य के पाचक तन्त्र में आहार नाल व उससे सम्बद्ध अन्थियाँ होती हैं।
आहार नाल (Alimentary Canal) Digestive System of Human
मनुष्य की आहार नाल 8-10 मीटर लम्बी होती हैं। विभिन्न भागों में इसका व्यास अलग-अलग होता है। आहार नाल को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है:
- मुख एवं मुखगुहा
- ग्रसनी
- ग्रासनली
- आमाशय
- छोटी आँत
- बड़ी आँत
मुख, मुखगुहा (Buccal Cavity) Digestive System
दो होटों से घिरा एक मुख अन्दर मुखगुहा में खुलता है। मुख में 32 दाँत होते हैं। प्रत्येक जबड़े पर सामने दो जोड़ी कृन्तक, फिर एक-एक रदनक, दो-दो अग्रचर्वणक तथा उसके बाद तीन-तीन चर्वणक होते हैं, अग्रचर्वणक व चर्वणकों को दाढ़ कहते हैं।
Types of Teeth
मनुष्य में दाँतों के प्रकार, उनकी संख्या व उनके कार्य निम्नांकित तालिका में दिये गये हैं:
SN | दाँतों के प्रकार | प्रत्येक जबड़े में दाँतों की संख्या | दाँतों का कार्य |
1. | कृन्तक या इन्साइजर (incisors) | दो जोड़ी (4) | भोजन को कुतरना |
2. | रदनक या कैनाइन (canines) | एक जोड़ी (2) | भोजन को पकड़ना व चीरना |
3. | अग्रचर्वणक या प्रीमोलर (premolars) | दो जोड़ी (4) | भोजन को चबाना व पीसना |
4. | चर्वणक या मोलर (molars) | तीन जोड़ी (6) | भोजन को चबाना व पीसना |
(1) जीभ या जिह्वा (Tongue)
मुखगुहा के फर्श पर जीभ होती है जो भोजन का स्वाद चखती है, भोजन चबाते समय उसको उलटती-पलटती रहती है, उसमें लार को मिलाने में सहायता करती है और चबाये गये भोजन को निगलने में मदद करती है।
(ii) ग्रसनी (Pharynx)
मुखगुहा का पिछला भाग ग्रसनी (pharynx) कहलाता है। मुखगुहा को दीवारों में लार अन्थियों होती है। मुखगुहा के ऊपरी भाग को तालू (palate) कहते हैं।
ग्रसनी में एकदम अन्दर एक बड़ा छिद्र होता है। इसको निगल द्वार (gullet) कहते हैं। इसके द्वारा ग्रासनली प्रसनी में खुलती है। इसके पास हो श्वास नली का छिद्र घाँटी द्वार (glottis) होता है। इनके सामने ऊपर से मुलायम तालू लटका रहता है जिसे यूबुला (uvula) अर्थात् एपिग्लॉटिस कहते हैं। इसी प्रकार जीभ के अन्तिम सिरे पर पीछे की ओर निगल द्वार के आस पास टॉन्सिल (tonsils) नामक फूले हुए स्थान होते हैं।
(iii) भोजन नली या ग्रसिका या ग्रासनली (Oesophagus)
यह 25 सेमी लम्बी नली है और श्वास नली के नीचे स्थित होती है। यह डायाफ्राम (diaphragm) को भेदकर उदर गुहा में स्थित आमाशय में खुलती है।
(iv) आमाशय (Stomach) मनुष्य का पाचन तन्त्र
यह J-आकार के एक थैले के समान होता है। इसकी लम्बाई 25 से 30 सेमी और चौडाई 7 से 10 सेमी तक होती है। यह देहगुहा में बाई ओर हृदय के पास स्थित होता है, इसको कार्डियक छिद्र (cardiac opening)कहते है। भोजन नली (oesophagus) का अन्तिम सिरा आमाशय से जुड़ा रहता है जिससे भोजन आमाशय में पहुँचता है। आमाशय के दूसरे सिरे को पाइलोरिक सिरा (pyloric end) कहते हैं जो एक सिरे पर बड़ा परन्तु दूसरे सिरे पर संकरा होता है। इसके सिरे पर स्थित छिद्र को पाइलोरिक छिद्र (pyloric opening) कहते है।
आमाशय की भित्ति में मोटा, पेशी स्तर होता है और श्लेष्म कला का आवरण होता है, जिसमें अनेक आमाशयिक ग्रन्थियाँ होती हैं। इनसे जठर रस (gastric juice) निकलता है। आमाशयिक अन्थियों में तीन प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं (i) पेप्टिक या जाइमोसेनिक कोशिकाएँ जो पाचक एन्जाइम का स्राव करती हैं। (ii) ऑक्जेंटिक या पैराइटल कोशिकाएँ जो HCI का लाव करती हैं तथा (iii) म्यूकस कोशिकाएं जो म्यूकस बनाती है। इससे आमाशय के अन्दर भोजन का पाचन होता है।
आमाशय के कार्य
- भोजन का पाचन
- भोजन का संग्रह
- भोजन को पतला, लेई जैसा बनाना
- भोजन के साथ आये जीवाणुओं का नाश।
(v) ग्रहणी (Duodenum)
इसकी आकृति अंग्रेजी के ‘C’ के समान तथा लम्बाई लगभग 25 सेमी होती है। यकृत से पित्त नली (bile duct) तथा अग्न्याशय से अग्न्याशय नली इसके निचले भाग में आकर मिलती है।
(vi) क्षुद्रान्त्र (Small Intestine)
यह ग्रहणी के निचले भाग से प्रारम्भ होती है। यह नली लगभग 6-7 मीटर लम्बी होती है। अतः यह कुण्डलित (coiled) अवस्था में उदर गुहा में पड़ी होती है।
क्षुद्रान्त्र की भित्ति में आन्त्रीय ग्रन्थियाँ होती है जिनसे पाचक, आन्त्रीय रस निकलता है। इसकी भित्ति में अनेक छोटे-छोटे अंगुली के आकार के रसांकुर (villi) होते हैं। ये अवशोषण की सतह को बढ़ाते हैं।
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(vii) बड़ी आंत या वृहदान्त्र (Large Intestine)
यह अधिक चौड़ी होती है। इसकी लम्बाई लगभग 7 फीट होती है। छोटी आंत एक छोटे से थैले जैसे भाग में खुलती है, इसे सीकम कहते हैं।
(a) सीकम तथा कृमिरूप परिशेषिका (Caecum and Appendix Vermiform)
सीकम एक ओर छोटी आंत से और दूसरी ओर बृहदान्त्र या कोलन (colon) से जुड़ा होता है। इसका एक सिरा 7 से 10 सेमी लम्बी संकरी व अन्धी नलौ (बन्द नली) के रूप में एक और निकला रहता है। इसे कृमिरूप परिशेषिका (vermiform appendix) कहते हैं।
(b) कोलन या वृहदान्त्र (Colon)
कोलन तीन इंच चौड़ी नली है। यह उल्टे U-के आकार में होती है और जगह-जगह पर फूली होती है। सोकम से निकलने के बाद ऊपर की ओर उठती है, बाद में समानान्तर होकर नीचे उतरती है तथा अन्त में मलाशय में खुल जाती है।
(viii) मलाशय (Rectum)
यह बड़ी आंत का ही अन्तिम भाग हैं। यह लगभग 7-8 इंच लम्बा होता है। यहाँ भोजन से केवल जल का अवशोषण होता है। यह अपच भोजन को विष्ठा के रूप में शरीर से बाहर निकालता है।
(ix) गुदा (Anus)
मलाशय का अन्तिम भाग छल्लेदार मांसपेशियों का बना होता है। इसके बाहर खुलने वाले छिद्र को गुदा द्वार (anal aperture) कहते हैं।
पाचक ग्रन्थियाँ (Digestive Glands) Digestive System of Human
- लार ग्रन्थियाँ (Salivary Glands)
भोजन करते समय मुख में से एक चिकना तरल पदार्थ निकलता है। यह चिकना पदार्थ ही लार है। इस लार में पाचक रस पाए जाते हैं। ये भोजन को पचाने में सहायता देते हैं। मुख के अन्दर जीभ के दोनों ओर 3-3 लार ग्रन्थियाँ पाई जाती है। ये अन्थियाँ अलग-अलग प्रकार की होती हैं।
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